Raksha Bandhan Importance Hindu Dharam
रक्षाबंधन 2025: यह पर्व केवल एक उत्सव नहीं है, बल्कि भाई-बहन के रिश्ते की मजबूती का प्रतीक है। हर साल सावन की पूर्णिमा को मनाया जाने वाला यह त्यौहार भाई-बहन के बीच प्रेम, विश्वास और सुरक्षा के संकल्प का प्रतीक है। क्या आपने कभी सोचा है कि बहनें राखी बांधते समय तीन गांठें क्यों लगाती हैं? यह केवल एक परंपरा नहीं है, बल्कि इसके पीछे गहरी ज्योतिषीय और आध्यात्मिक मान्यताएं छिपी हुई हैं। ये तीन गांठें ब्रह्मा, विष्णु और महादेव की ऊर्जा से जुड़ी हैं और दीर्घायु, समृद्धि और रिश्तों की पवित्रता का प्रतीक हैं। आइए जानते हैं कि रक्षाबंधन पर राखी बांधते समय इन गांठों का क्या महत्व है और यह परंपरा आज भी क्यों प्रासंगिक है।
रक्षाबंधन का धार्मिक महत्व रक्षाबंधन का धार्मिक और भावनात्मक महत्व
रक्षाबंधन की शुरुआत वैदिक काल से मानी जाती है। यह केवल भाई की कलाई पर धागा बांधने का कार्य नहीं है, बल्कि यह एक संस्कार है जो रक्षा, प्रेम और कर्तव्य का प्रतीक है। प्राचीन ग्रंथों में रक्षा सूत्र को बुरी शक्तियों से बचाने वाला और शुभता लाने वाला माना गया है। राखी को शुभ मुहूर्त में बांधना, गंगाजल से शुद्ध करना और मंत्रों का उच्चारण करना, ये सभी प्रक्रियाएं पर्व को धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण बनाती हैं।
राखी की तीन गांठों का महत्व राखी में तीन गांठों की परंपरा
राखी की तीन गांठें त्रिदेवों ब्रह्मा, विष्णु और महादेव का प्रतिनिधित्व करती हैं।
पहली गांठ - ब्रह्मा का प्रतीक: यह गांठ भाई की लंबी उम्र और स्वास्थ्य की कामना के साथ लगाई जाती है। बहन इस गांठ को बांधते हुए प्रार्थना करती है कि उसका भाई दीर्घायु हो।
दूसरी गांठ - विष्णु का प्रतीकयह गांठ रिश्तों में संतुलन और मिठास का प्रतीक है। भगवान विष्णु जगत के पालनहार हैं और यह गांठ दर्शाती है कि भाई-बहन का रिश्ता ईश्वर के आशीर्वाद से मजबूत बना रहे।
तीसरी गांठ - शिव का प्रतीकयह गांठ भाई-बहन के कर्तव्यों और धर्म के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक है। भाई अपनी बहन की रक्षा करने का वचन निभाए और बहन अपने प्रेम से भाई का जीवन संवारती रहे।
गांठों का वैज्ञानिक और मनोवैज्ञानिक महत्व गांठों का मनोवैज्ञानिक प्रभाव
राखी की तीन गांठों का मनोवैज्ञानिक असर भी गहरा होता है। गांठें बांधने की प्रक्रिया से एकाग्रता बढ़ती है और संकल्प मजबूत होता है। जब बहन प्रेमपूर्वक राखी में गांठ लगाती है, तो वह अपने भावनाओं को साकार रूप देती है, जिसका सकारात्मक प्रभाव भाई के मन पर पड़ता है। यह गांठें न केवल रक्षा का वचन हैं, बल्कि रिश्तों की जिम्मेदारी का भी भाव उत्पन्न करती हैं।
धार्मिक ग्रंथों में राखी का उल्लेख धार्मिक ग्रंथों में राखी का महत्व
स्कंद पुराण: इसमें रक्षा सूत्र का महत्व इस मंत्र के माध्यम से बताया गया है - 'येन बद्धों बली राजा, दानवेंद्रो महाबल:, तेन त्वांग प्रतिबध्नामी रक्षे मा चल मा चल।' यह मंत्र रक्षा सूत्र बांधते समय बोला जाता है।
वामन पुराण: यहां वामन अवतार के समय इंद्र की पत्नी शची द्वारा रक्षा सूत्र बांधने की कथा मिलती है।
गंगाजल से राखी की शुद्धता गंगाजल से राखी को शुद्ध करने का महत्व
राखी बांधने से पहले उसे गंगाजल से शुद्ध करना एक विशेष धार्मिक प्रक्रिया है। गंगाजल को सभी तीर्थों का सार माना गया है। यदि राखी को बिना शुद्ध किए बांधा जाए तो यह अशुभ फल दे सकती है। गंगाजल से राखी को शुद्ध करने से कुंडली के दोषों का असर कम होता है। शुद्ध राखी में ऊर्जा प्रवाहित होती है, जो भाई को सकारात्मक रूप से प्रभावित करती है।
राखी बांधते समय विशेष उपाय राखी बांधते समय करें ये उपाय
राखी बांधते समय कुछ खास उपायों का ध्यान रखना चाहिए। जैसे कि राखी को गंगाजल में डुबोकर शुद्ध करें, हमेशा भाई की दाहिनी कलाई पर राखी बांधे, हर गांठ बांधते समय अलग-अलग प्रार्थना करें। राखी बांधते समय 'ओम रक्ष रक्षाय स्वाहा' मंत्र का उच्चारण करें।
रक्षाबंधन की राखी केवल धागा नहीं, बल्कि एक शक्तिशाली संकल्प है। इसकी तीन गांठें संकल्प को त्रिगुणात्मक शक्ति देती हैं। यह केवल परंपरा नहीं, बल्कि एक दिव्य प्रक्रिया है जो हर साल भाई-बहन के रिश्ते को और मजबूत कर देती है।
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